9827107530

शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010

याज्ञवल्क्य और मैत्रियी

याज्ञवल्क्य और मैत्रियी की कथा
महर्षि याज्ञवल्क्य वैदिक युग में एक अत्यन्त विद्वान व्यक्ति हुए हैं। वे ब्रह्मज्ञानी थे। उनकी दो पत्नियां थीं। एक का नाम कात्यायनी तथा दूसरी का मैत्रियी था । कात्यायनी सामान्य स्त्रियों के समान थीं, वह घर गृहस्थी में ही व्यस्त रहती थी। सांसारिक भोगों में उसकी अधिक रूचि थी। सुस्वादी भोजन, सुन्दर वस्त्र और विभिन्न प्रकार के आभूषणो में ही वह खोई रहती थी। याज्ञवल्क्य जैसे प्रसिद्ध महर्षि की पत्नी होते हुए भी उसका धर्म में उसे कोई आकर्षण नहीं दिखाई देता था। वह पूरी तरह अपने संसार में मोहित थी। जबकि मैत्रियी अपने पति के साथ प्रत्येक धार्मिक कार्य में लगी रहती थी। उनके प्रत्येक कर्मकाण्ड में सहायता देना तथा प्रत्येक आवश्यक वस्तु उपलब्ध कराने मे उसे आनन्द आता था। अध्यात्म में उसकी गहरी रूचि थी तथा अपने पति के साथ अधिक समय बिताने के कारण आध्यात्मिक जगत में उसकी गहरी पैठ थी। वह प्रायः महर्षि याज्ञवल्क्य के उपदेशों को सुनती, उनके धार्मिक क्रिया-कलापों में सहयोग देती तथा स्वंय भी चिन्तन-मनन में लगी रहती थी। सत्य को जानने की उसमें तीव्र जिज्ञासा थी।
एक बार महर्षि याज्ञवल्क्य ने गृहस्थ त्यागकर संन्यास लेने का निश्चय किया। उन्होंने अपनी दोनों पत्नियों को अपने समीप बुलाया और उनसे बोले, 'हे मेरी प्रिय धर्मपत्नियों, मैं गृहस्थ त्यागकर संन्यास ले रहा हूं। मैं चाहता हूं कि मेरे पश्चात तुम दोनों में किसी प्रकार का विवाद न हो। इसलिए मेरी जो भी धन-सम्पत्ति है तथा घर में जो भी सामान है, उसे तुम दोनों में आधा-आधा बांट देना चाहता हूं।' कात्यायनी तुंरत तैयार हो गई लेकिन मैत्रियी सोचने लगी कि ऐसी क्या वस्तु है जो गृहस्थ से भी अधिक सुख, सतोंष देने वाली है और जिसे प्राप्त करने के लिए महर्षि गृहस्थ का त्याग कर रहे हैं। वह बोली, 'भगवन आप जिस स्थिति को प्राप्त करने के लिए गृहस्थ का त्याग कर रहे हैं, क्या वह इस गृहस्थ जीवन से अधिक मूल्यवान है?' महर्षि ने उत्तर दिया, 'मैत्रियी वह अमृत है, यह संसार नाशवान है। इसका सुख क्षणिक है, वह स्थायी आनन्द है। उसी की खोज में मैं अपना शेष जीवन व्यतीत कर देना चाहता हूं।' मैत्रियी फिर बोली, 'भगवन यदि धन-धान्य से पूर्ण यह समस्त पृथ्वी मुझे मिल जाए तो क्या मृत्यु मेरा पीछा छोड़ देगी, मैं अमर हो जाऊंगी।' महर्षि याज्ञवल्क्य ने कहा, 'प्रिय मैत्रियी, धन से तो सांसारिक वस्तुओं का ही प्रबंध किया जा सकता है। यह तो शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति, भोग-विलास तथा वैभव का ही साधन है। इससे अमरत्व का कोई सम्बंध नहीं है।' तब मैत्रियी ने कहा, 'यदि ऐसा है तो आप मुझे इससे क्यों बहला रहे हैं। मुझें इसकी आवश्यकता नहीं है। मुझे तो आप उस तत्व का उपदेश दीजिए जिसमें मैं सदा रहने वाला सुख पा सकूं। उसे जान सकूं जिसे जानने के पश्चात कुछ भी जानना शेष नहीं रहता तथा इस आवागमन के चक्र से मुफ्त होकर सदा-सदा के लिए अमर हो जाऊं।'
महर्षि अपनी पत्नी की सत्य के प्रति जिज्ञासा को जानकर अत्यन्त प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी पत्नी की प्रशंसा करते हुए कहा, 'हे मैत्रियी, तुम्हारी इस सच्ची लगन को देखकर मैं पहले भी तुमसे प्रसन्न था और तुम्हें प्यार करता था,अब तुम्हारी बातें सुनकर मैं तुमसे बहुत अधिक प्रसन्न हूं, आओ, मेरे पास बैठो, मैं तुम्हें वह ज्ञान दूंगा जिससे वास्तव में तुम्हारी आत्मा का कल्याण होगा और तुम संसार के माया-मोह से सदा के लिए मुफ्त हो जाओगी।' और ऐसा ही हुआ, मैत्रियी ने अपने पति के द्वारा ज्ञान प्राप्त करके,ईश्वर को पा लिया और उसका मन स्थायी शांति तथा आनन्द से परिपूर्ण हो गया।

ज्ञात्वा शिवं शान्तिमत्यन्मेति । (उस कल्याणकारी परमात्मा को जानकर ही भक्त अत्यन्त शान्ति (मोक्ष) को प्राप्त करता है।)
गुरुवार, 28 अक्तूबर 2010

मेरी खबर: दिव्य गुप्त विज्ञान

दिव्य गुप्त विज्ञान

दिव्य गुप्त विज्ञान


देवी गुप्त साइंस आप जो कुछ भी-सुख, स्वास्थ्य और धन चाहते देता है! तुम, कर सकते हैं, या कुछ भी तुम चाहते हो!

"परमात्मा गुप्त विज्ञान 'के रूप में नाम का सुझाव राज है और नहीं जाना जाता है. यह वैज्ञानिक, सृष्टि के सिध्दांतों पर आधारित है. आध्यात्मिक हीलिंग और ध्यान का वैज्ञानिक तरीका. दिव्य गुप्त विज्ञान एक शुद्ध विज्ञान है. यह आपके शरीर की ऊर्जा संतुलन. आपके शरीर को कोशिकाओं से बना है. इन कोशिकाओं को न्यूट्रॉन और क्वांटा / प्रोटॉनों के बने हैं. दिव्य ऊर्जा है, जो न्यूट्रॉन और प्रोटॉन की ऊर्जा संतुलन 'परमात्मा गुप्त विज्ञान' है ...

स्वामी जी दिल्ली, पटियाला, बनारस, मध्य प्रदेश, बिहार, बद्रीनाथ और कासी में जैसे विभिन्न स्थानों पर आश्रम हो गया है. आश्रम कई पुराने लोगों में रह रहे हैं, गरीब बच्चों और गरीब इसलिए छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण दे रहे हैं कि वे अपने अस्तित्व के लिए रोजगार मिल सकता है के लिए कॉलेज के लिए स्कूल. ध्यान की कक्षाओं का आयोजन कर रहे हैं, गरीब लड़कियों की शादियों की व्यवस्था कर रहे हैं.
आश्रम में कई स्थानों जिसका पता और टेलीफोन नंबर रहे हैं के तहत यहाँ दी पर स्थित है: -


सदगुरु धाम आश्रम,
एच 243, कुंवर सिंह नगर, Nilothi Morh,
Nangloi, दिल्ली -110041
Tel.No.011-64171741, 9210477955, 9868387152,9868886830


सदगुरु धाम,
प्लाट नं 73, न्यू दश्मेश नगर, मेन रोड Sular,
पटियाला, पंजाब


सदगुरु धाम,
कबीर मंदिर, बरईपुर, Narainpur,
Mirjapur , वाराणसी


सदगुरु धाम आश्रम,
Dhumri, वाराणसी


सदगुरु धाम आश्रम,
बक्सर औद्योगिक क्षेत्र,
बक्सर, बिहार


सिद्ध आश्रम,
Akauri, Curhat, एम पी..


सदगुरु धाम,
बद्रीनाथ, नजदीक बस स्टैण्ड,
उत्तरांचल
http://divinesecretscience.com/

http://www.sadgurudham.net/


प्रस्तुतकर्ता कमल शर्मा
शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2010

मेरी खबर: Divine Secret Science

मेरी खबर: divine Secret Science

Divine Secret Science

The Divine Secret Science gives you whatever you want-happiness,health and wealth! You can have,do,or be anything you want!!

The “DIVINE SECRET SCIENCE” as the name suggests is secret and not known. It is based on scientific-cosmic principles. The Scientific Way of Spiritual Healing and Meditation.Divine Secret Science is a Pure Science.It balance the energy of your body. Your body is made up of cells. These cells are made up of neutrons and protons/quanta. “DIVINE SECRET SCIENCE” is divine energy which balances the energy of neutrons and protons…

SWAMI JI has got Ashrams at various places like in Delhi, Patiala,Banaras, Madhya Pradesh, Bihar, Badrinath and Kosi. In the Ashram many old persons are living, school for poor children and college for giving vocational training to poor students so that they can get jobs for their survival. The meditation classes are conducted, the weddings of poor girls are arranged.
The ashram is situated at many places whose address and telephone numbers are given here under :-

SADGURU DHAMASHRAM,
H-243, Kunwar Singh Nagar, Nilothi Morh,
Nangloi, Delhi-110041
Tel.No.011-64171741, 9210477955, 9868387152,9868886830

SADGURU DHAM,
Plot No.73,New Dashmesh Nagar,Main Road Sular,
Patiala, Punjab

SADGURU DHAM,
Kabir Mandir, Baraipur, Narainpur,
Mirjapur, Varanasi

SADGURU DHAM ASHRAM,
Dumri, Varanasi

SADGURU DHAM ASHRAM,
Buxar Industrial Area,
Buxr, Bihar

SIDHASHRAM,
Akauri, Churhat, M.P.

SADGURU DHAM,
Badrinath, Near Bus Stand,
Uttranchal
शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2010

ये हिंदु आतंकवाद है

मैं अमन-ओ-चैन की परवाह नहीं करता


दंगा-ओ-फसाद, अजी इनआम है मेरा !

करता हूँ दिलो जान से, पाकिस्तान की परस्तिश

कहते हैं जिसे कुफ्र, वह "इस्लाम" है मेरा !!

अल्लाह ने बख्शा है, मुझे रूतबा-ए-घौंचू

चूतिया जिसे कहते हैं, वही बाम है मेरा !!
 
                 धन्य है ब्लॉगर सलीम खान जिसने कबूल तो किया कि लखनऊ की तहजीबी नगरी में उसने कैसी तमीज सीखी है । इसने लिखा आइये देखिये हिंदु-आतंकियों का जलील चेहरा और बढिया बढिया हिंदु नेताओं की और कारसेवकों की तस्वीरें लगा दिया । मैने सोचा कि इसके ब्लॉग पर ही धनिया बो दूं लेकिन फिर सोच क्या मतलब ये तो दन् से मेरी प्रतिक्रिया उडा देगा इसलिये अपने ब्लाग पर लिखने के बाद उसे लिंक दूंगा ।
                                    मिस्टर घोचू (इसे आपने अपना रूतबा कहा है जनाब ) आपने जो लिखा है उसमें आपका दोष नही है क्योंकि ये आपके भीतर की भडास है जो आप अपने पूर्वजों पर व्यक्त नही कर पा रहे हैं । मैं आगे की कोई बात लिखने से पहले आपको एक सलाह दूंगा कि आप अपने मां बाप से पूछो कि तुम्हारा खानदान कब से मुसलमान है । अब ये मत कह देना कि जब से इस्लाम बना है तब से तुम लोग मुसलमान हो क्योंकि ऐसा होता तो तुम्हारा चेहरा ओसामा बिन लादेन और अरबी शेखों की तरह होता ना कि आम हिंदुस्तानी भारतीयों की तरह । तुम्हारे हिंदु  आतंक को संबोधित लेख के जवाब में मैं कई मुस्लिम आतंकवाद की घिनौनी तस्वीरें भेज देता जिनमे से सबसे नई तो दो चार माह पुरानी ही होती । आपने तो 1992 की बाबरी मस्जिद की तस्वीरें भेजी हैं तो ये क्यों नही बताया जनाब कि ये रही हिदु आतंकवाद की 2010 की तस्वीरें ?
                                    बाबरी मस्जिद जो किसी बाबर नाम के आक्रमणकारी नें भारत में आकर हमारे धर्म पर, हमारी आस्था पर हमला करके हमारे देश के प्रथम युगपुरूष श्री राम की जन्मभूमि पर कब्जा कर मस्जिद बना दिया था उसे तोड कर अपनी हजारों साल पुरानी सभ्यता को वापस पाने की मुहिम चलाने पर हिंदु आतंकवादी बन गये लेकिन आप क्या रहे हैं सलीम मिंया... आप बजाए ये सोचने के की हो सकता है उस आक्रमणकारी आतंकवादी बाबर के साथ आए मुस्लिम सैनिकों में से या खुद बाबर नें तुम्हारी किसी पूर्वज औरत की इज्जत तार तार करके जबरन मुस्लिम बना दिया जिसके कारण बाबर की मौत के बाद भी तुम उसके धर्म को मान रहे हो । सलीम भाई सोचो कि तुम कौन हो अगर तुम अपने को मुसलमान मानते हो तो तुम्हे ये स्वीकार करना होगा कि तुम कायर हो और अपने पूर्वजों के अत्याचार को सह रहे हो तुम ये नही सोचते हो कि जबरन गऊमांस खिलाकर तुम्हारे पूर्वजों को धर्मभ्रष्ट कर दिया गया था और तुम अपने पुरखों की जबरदस्ती को आज अपने रिवाज में शामिल कर लिये हो । सोचकर देखो और जरूरत पडे तो इतिहास में झांककर देखो कि रेगिस्तान से आए अरब लोगों को गाय का मांस कहां मिला होगा ? जवाब आपके पास नही है कोई बात नही  मैं देता हूँ -
                                बाबर का जन्म फ़रगना घाटी के अंदिजन नामक शहर में हुआ था जो अब उज्बेकिस्तान  में है। उसके पिता उमर शेख़ मिर्ज़ा, जो फरगना घाटी के शासक थे । हालाँकि बाबर का मूल मंगोलिया के बर्लास कबीले से सम्बन्धित था पर उस कबीले के लोगों पर फारसी तथा तुर्क जनजीवन का बहुत असर रहा था, वे इस्लाम में परिवर्तित हुए तथा उन्होने तुर्केस्तान को अपना वासस्थान बनाया।  मंगोल जाति (जिसे फ़ारसी में मुगल कहते थे) का होने के बावजूद उसकी जनता और अनुचर तुर्क तथा फारसी लोग थे। उसकी सेना में तुर्क, फारसी,पश्तो के अलावा बर्लास तथा मध्य एशियाई कबीले के लोग भी थे। बाबर के चचेरे भाई मिर्ज़ा मुहम्मद हैदर ने लिखा है कि उस समय, जब चागताई लोग असभ्य तथा असंस्कृत थे तब उन्हे ज़हिर उद-दिन मुहम्मद का उच्चारण कठिन लगा। इस कारण उन्होंने इसका नाम बाबर रख दिया। इन रेगिस्तानी कबीले वालों का एक ही काम हुआ करता था दुसरे कबीले पर हमला करके उनकी औरतें और ऊंठ और भेडों को लूटना । रेगिस्तान में गाय नही होती हैं इन्हे अखंड भारत के लोगों को गऊमांस इसलिये खिलाया जाता था ताकि इसके बाद उन्हे अन्य हिंदु लोग अलग कर दें और उस समय की हिंदु परंपरा के अनुसार गऊभक्षकों को अछुत कहकर  सनातन धर्म की सभी    जातियों और संप्रदायों द्वारा अलग कर दिया जाता था  जिसके कारण मुस्लिमों को अलग से बसने की जगह मिलती गई ।
                            इसके बाद भी कहने को बहुत कुछ बचता है सलीम खान साहब जिस समय बाबर आया था उस समय हमारा देश धर्म में नही जातियों , वर्णों और  संप्रदायों में बंटा हुआ था और सभी केवल सनातन धर्म को ही मानते थे ।  रेगिस्तान की औलाद बाबर और उसके साथियों नें हमारे देश के धन को लूटा, औरतों की इज्जत तार तार कर दिये, बच्चों का जबरन खतना किया गया, आदमीयों को गऊमांस खिलाया गया ताकि उनका जनेऊ उतर जाए,  मतलब ये कि बाबर नें जो धर्म परिवर्तन किया उसका एक उदाहरण आप भी हो सकते हैं ।
                                अब आप देखिये हमारी भारत माता की पावन धरा का असर की बाबर जैसे आतताई, क्रूर हत्यारे और लुटेरे का पौत्र अकबर इसी धरती पर हिदु मुस्लिम एकता का अनुपम उदाहरण देते हुए दीन ए इलाही का गठन करता है  अल्लाह हो अकबर तो आज भी आप कहते हैं खान साहब ।
                    घोंचू  साहब सोचीये कि भारतीय मुस्लिमों के चेहरे हिंदुओं के चेहरों से क्यों मिलते हैं । हां एक बात और है कि -
                       मुस्लिम पीर पैगंबरों नें अपनी सिद्धियों के एवज में भी धर्म परिवर्तन कराने में भूमिका निभाई है । आपके शहर के आसपास ही कोई जगह है जिसे मौदहा के नाम से जाना जाता है आज की पीढी से तीन पीढी पहले तो वह ठाकुरों का गांव हुआ करता था सलीम साहब आपसे अनुरोध है कि उस घटना के बारे में आप बताएं तो ज्यादा अच्छा होगा कि मौदहा के साथ के 7 गांव और मुसलमान क्यों बने ---  क्योंकि हम तो ठहरे हिंदु आतंकवादी भला हमारी बात आप कैसे समझ सकेंगे ।
रविवार, 3 अक्तूबर 2010

रामजन्मभूमि ः- कांग्रेस निभाएगी शिखंडी की भूमिका ।

                                        कांग्रेस चाहती है कि अयोध्या मामले से जितना हो सके उतना दूर रहा जाए और किसी निर्णय की बात आए तो वह अपने को सबसे पहले स्वयं को सुरक्षात्मक आवरण में ले ले इसके बाद उसका कोई नेता शिखंडी की तरह विपक्ष के हमलों का वार सहता रहे जिससे उसके महारथीयों को ज्यादा संघर्ष ना करना पडे ।
                  अयोध्या पर हाईकोर्ट के फैसले को भुनाने की सियासी कोशिशें भले ही शुरू हो गई हों, लेकिन कांग्रेस इसे कतई तूल नहीं देगी। इस मामले में पार्टी को हर हाल में बीच का ही रास्ता अपनाने में  अपनी भलाई दिख रही है। यही वजह है कि जहां दूसरे राजनीतिक दल फैसले के बाद सक्रिय हो गए हैं, वहीं कांग्रेस को पक्षकारों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील किए जाने का इंतजार है।
खुद को धर्मनिरपेक्ष बताने वाले किसी भी राजनीतिक दल को अयोध्या मामले में विवादित भूमि के तीन हिस्सों में बंटवारे जैसे फैसले की उम्मीद नहीं थी। कांग्रेस के लिए भी यह फैसला अप्रत्याशित ही है, जबकि संघ परिवार व भाजपा को इस फैसले ने बड़ी राहत दी है। समाजवादी पार्टी ने फैसले को निराशाजनक और मुसलमानों के लिए मायूसी वाला करार दिया है। ऐसे में, कांग्रेस को लग रहा है कि सपा, भाजपा या संघ परिवार फैसले को लेकर जितना ज्यादा सक्रिय होंगे, कांग्रेस और ईसाई समुदाय  को उतने ही नुकसान का खतरा बढ़ेगा। लिहाजा, पार्टी कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहती, जिससे उस पर हिंदू या मुस्लिम समुदाय के पक्ष या विपक्ष में होने का ठप्पा लगे। इसीलिए पार्टी फैसले पर कुछ भी नही बोलना चाह रही है यहां तक की बेवजह चिल्ल पों मचाने वाले सोनिया के सिपहसलार भी मांद में घुस गए हैं ।
अयोध्या की विवादित जमीन के पक्षकारों में से ज्यादातर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ जल्द ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे लेकिन पार्टी की आशा के साथ यह मामला आगे बढेगा इसकी संभावना कम ही है क्योंकि पहली बार देश के युवा मुस्लिम मंदिर के पक्ष में खडे दिख रहे हैं
     कांग्रेस को आशंका है कि आगे चलकर यदि सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगा दी, तो एक तरह से इसे संघ परिवार व भाजपा की नैतिक जीत के रूप में देखा जाएगा। साथ ही, अयोध्या में शिलान्यास व विवादित ढांचा विध्वंस को लेकर शुरू से सवालों के घेरे में रही कांग्रेस पर मुसलमान फिर से अंगुली उठाएंगे । लिहाजा, पार्टी इस मामले को सुलह-समझौते से ही हल कराने पर जोर देगी।
                पार्टी की इसी सोच का नतीजा है कि उसने संघ प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान की सराहना की है, जिसमें उन्होंने फैसले को हार-जीत के रूप में न लेने की बात कही थी। इतना ही नहीं, भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह का वह बयान भी कांग्रेस के पक्ष में है, जिसमें उन्होंने सुलह-समझौते के लिए केंद्र से पहल की बात कही है ।
                 आखिर में लगता है कि अयोध्या का फैसला विश्वहिंदु परिषद की सांस्कृतिक लडाई की प्रारंभिक जीत की शुरूआत है इस विषय से सबक लेते हुए प्रबुद्ध वर्ग को निर्णय लेना चाहिये कि तमाम हिंदु धार्मिक स्थलों के पेंच को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लेने में ही देश की भलाई है ।

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