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प्रणव कहिन - भ्रष्टाचार पर खामोश रहो

शुक्रवार, 3 दिसंबर 2010

भाजपा के चूक चुके राष्ट्रीय नेता आडवाणी नें संप्रग पर भ्रष्टाचार बढाने और भ्रष्टों को संरक्षण देने का आरोप लगाए जिसके जवाब में प्रणव मुखर्जी नें एक डायलागी बयान दिया कि भाजपा को भ्रष्टाचार पर मुंह खोलने का कोई अधिकार नही है क्योकि उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष कैमरे में रिश्वत लेते देखे जा चुके हैं । 
         तो जरा प्रणव साहेब आप बतायें कि क्या हम पत्रकारीता करने वालों को जनता की समस्या छोडकर अब नेताओं के पीछे पीछे चलना पडेगा कि कौन कब कहां किससे कितनी घूस मांग रहा है । प्रणव मुखर्जी को खुद बोलने से पहले सोचना चाहिये कि किस बात पर वो मूर्ख बन जाएंगे । एक बंगारू के रिश्वत लेने का मामला किनारे करके जरा प्रणव साहेब आफ जवाब दिजिये कि आपकी टीम के कलमुंहे कलमाणी की काली करामात कितनी घिनौनी थी जिसकी वजह से पूरा देश अफने को ठगा महसूस कर रहा है औऱ तो औऱ कलमाडी कांड के तुरंत बाद राजा की कहानी भी सामने आ गई । अब आप ठहरे वित्त मंत्री सो जरा हिसाब किताब करके आप ही बता दें कि जितना धन आपके दो आदमीयों नें खाया उससे देश की पूरी जनता के बीच यदि बांटा जाता तो एक एक के हिस्से में कितना धन आता । भई हमें तो हिसाब किताब नही आता पर इतना जरूर जानते हैं कि देश के सारे नागरिकों का कर्जा उतर जाता । 
                           अब छोडो बंगारू की बात और केन्द्र की करनी की बात करते हैं । आपके साथी तो इतने कमीने और बेशरम है कि उन्हे देश का अनाज सडना पसंद है मगर बांटना गवारा नही है । खुद सैकडा पार फैक्ट्रीयां लगा कर रखे हैं और अपने धंधे की खातिर देश के नागरिकों को चूना लगा रहे हैं । सोनिया राहुल की बात छोडो उनकी औकात तो बिहारी बाबूओं नें बता दिये हैं अपने मनमोहन की सोचो जिसके कंधे पर भी एस.आर.पी. (सोनिया राहुल प्रियंका) की एक बंदुक वैसे ही रखी है जैसे कलमाणी, राजा, क्वात्रोची, सहित सभी कांग्रेसीयों पर रखी हुई है ( आप भी अपने कंधे देख लें) लोकतंत्र की आढ में देश में चल रही राजशाही कहीं कत्लेआम में ना बदल जाए क्योंकि पूरा विश्व गवाह है कि यदि जनता बागी होती है तो शांति राजशाही के खत्म होने के बाद ही होती है । इसलिये सावधान हो जाओ और अपने कंधे को साफ करके सोचो कि तुम राजवंश के वफादार हो या देश के ।
 
               
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