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क्या चीज है मानवाधिकार संगठन

गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने मानवाधिकार कार्यकर्ता बिनायक सेन की जमानत की याचिका खारिज कर दी है. उन्हें माओवादियों की मदद के आरोप में उम्र कैद की सजा दी गई है जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है. सेन को भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में 2007 में गिरफ्तार किया गया. हाल में ही उन्हें देशद्रोह का दोषी करार देते हुए अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई. सरकारी वकील यह साबित करने में सफल रहे सेन माओवादियों को शहरी इलाकों में अपना नेटवर्क खड़ा करने में मदद दे रहे हैं. हाई कोर्ट में जमानत की याचिका खारिज हो जाने के बाद सेन के वकील महेंद्र दुबे ने कहा, "अब हमारे पास यही एक विकल्प है कि सुप्रीम कोर्ट जाएं."
                                                     जाएँ ,,, सुप्रीम कोर्ट ही नही अमेरिका में भी इस मामले को ले जाया जाये... लेकिन सोचें कि आखिर ये मामला है क्या जिसके लिये मानवाधिकार संगठन इतनी हायतौबा मचा रहा है । मानवाधिकार संगठन का अधिकार सीमित है उसे उन मामलों में दखल देने का कोई अधिकार नही है जो कोर्ट में चल रहे हों .... लेकिन यहां तो मामला मानवाधिकार संगठन के कार्यकर्ता के ऊपर चल रहा है और छत्तीसगढ हाईकोर्ट के फैसले नें दुनिया भर में साबित कर दिया है कि किस तरह से मानवाधिकार संगठन की आड में माओवादियों (चीन) को मदद दी जा रही है । एक तरह से हमारी न्यायपालिका नें चीन को बेनकाब करने की कोशिश की है ।
                                               अभी तक   मानवाधिकार संगठन की आड में केवल इसाई मिशनरीयां (इनका मिशन होता है ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने धर्म से जोडना)  काम कर रही थी जो सेवा के नाम पर दूरदराज के गांव में जाकर आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कर रही थी । इलाज तभी करती थी जब बीमार का पूरा परिवार इसाई बन जाता, बच्चों को तभी दाखिला देते जब उसके माता पिता इसाई बन जाते । जब उनका मिशन पूरा हो गया तो उनका सेवा भाव भी निपट गया तब उनकी जगह ले लिये माओवादियों ने और मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में नक्सलियों तक हथियार पहुंचाने या सामान ढोने का काम शुरू कर दिये ।
                                                 ना तो धर्म परिवर्तन रूकेगा औऱ ना ही माओवादियों के हथियार गिरेंगे और  हमे इश बात से ही संतोष मिल जायेगा कि चलो बिनायक सेन को द्रेशदोरोह के आरोप में सजा तो मिली ।
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