सोचो ... सोचो... और सोचो कि भला मैने ये तस्वीर क्यों लगाई या ऐसी हेडलाइन्स क्यों बनाई । आप चाहे जो सोचें... भाई हमने तो सोचा कि जब यासिन जैसा देशद्रोही खुलेआम हमारे देश में हमारी ही ऐसी की तैसी कर रहा है और भाजपा के फेंकें जूते उस तक नही पहुंच पा रहे हैं तो हम तो नपुंसक ही हुए ना और जब हम ही नपुंसक है तो सारा देश नपुंसक नही हुआ क्या ( क्यों .. पाकिस्तान को आतंकीयों का देश कहते हैं कि नही) । अब जरा कुछ बातें करें अपने देश की एक प्रजाती की जिसे हम हिजडा या किन्नर कहते हैं । क्यों कहते हैं ये नही सोचते ... बस कहते हैं .... । जब वे हमारी दुकानों पर या मकानों में या फिर ट्रेनों पर वसूली अभियान करते हैं तो हम क्या करते हैं .... खुदको उन हिजडों के आतंक से बचाने के लिये 10-20 रूपये दे देते हैं । बस.... कुछ वैसा ही तो हम काश्मीर के लिये कर रहे हैं । वो हिजडे हम पर, हमारे देश पर आँखे गडाते जा रहे हैं, हिंदुओं को निर्ममता से मार रहे हैं, तिरंगे को अपना मानने से इंकार कर रहे हैं और हम उन हिजडों को बजाय ये कहने के की मर्द हो तो सामने आकर लडो.... चुपचाप नपुंसकों की तरह बैठ गये हैं ।
हे मेरे प्यारे नपुंसक साथियों आओ अपने देश की खातिर अपने अंदर कुछ जोश उत्पन्न करने वाली दवाइयों का सेवन कर लें । चलो.. ..... शहिदे आजम भगत सिंह, उधम सिंह या फिर चंद्रशेखर आजाद की भस्म को तलाश करें और उस भस्म में खुदीराम बोस की जवानी को कारगील के शहीदों के जुनून में मिलाकर पी लें ....... शायद ये दवा हमारे भीतर कुछ मधर्नगी का अहसास पैदा कर सके ।
हाहाहाहाहाहाहाहा .... मैं कोई मजाक नही कर रहा हूँ .. लेकिन सचमुच आज अपने भीतर के मर्द को मरा हुआ पा रहा हूँ क्योंकि मेरे जीवन में मेरी पत्नि और 10 और 8 साल के अपनें बच्चों की जवाबदारी है और उनका मेरे सिवाय कोई नही है, इस कारण मैं अपने साथ साथ उन सभी देश प्रेमियों के जज्बातों को समझ सकता हूँ जो अकेले परिवार के है और उन हिजडों के खुले आतंक को अपने परिवार की खातिर चुपचाप सह रहे हैं जो देश पर लगातार हमले कर रहे हैं ।
खैर... 2 शब्दों के साथ अपना लेख समाप्त करता हूँ कि - धन्यवाद हमारी 100 करोड की नपुंसक जनता को जो 1000 नेताओं के रहमो करम पर अपना देश बेच चुके हैं । जय हिंद ।।
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